Thursday, September 19, 2019

✅ भूमि प्रबंधन

✅ भूमि प्रबंधन

👉भूमि लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा है। यह खाद्य, जल, आजीविका, जैव विविधता और अपने पारिस्थितिक तंत्रों के अन्य वृहत लाभ प्रदान करती है। भूमि उपयोग वास्तव में पृथ्वी पर जीवन के कई पहलुओं के साथ परस्पर संबद्ध है। उदाहरण के लिये कृषि प्रणाली में दशकों से जारी बदतर भूमि प्रबंधन अब हमें संकटग्रस्त कर रही है। रसायनों के भारी उपयोग के कारण मृदा का क्षरण हुआ है, खेतों में मित्र/सहयोगी कीटों/कृमियों की समाप्ति हो गई है, एकल कृषि (Monoculture) ने उपयोगी गुणों वाले स्वदेशी फसल किस्मों के उपयोग में कमी की है, भूजल में TargetADDA कमी आई है और प्रदूषित खेत अपवाह (Polluted Farm Runoffs) दूषित जल निकायों में योगदान कर रहे हैं, साथ ही जैवविविधता को भी नष्ट कर रहे हैं। हमने एक ऐसी प्रणाली विकसित कर ली है जो अब कृषक परिवारों का समर्थन नहीं करती बल्कि इस प्रणाली के कारण उत्पन्न दबाव व तनाव ने किसानों द्वारा आत्महत्या जैसे संकट को जन्म दिया है।

✔️खेती के लिये बेहतर भूमि प्रबंधन में अधिक संवहनीय कृषि अभ्यासों के अनुपालन को शामिल करना होगा। उदाहरण के लिये- रासायनिक इनपुट में भारी कमी लाना और खाद्य उत्पादन अभ्यास को कृषि विज्ञान के प्राकृतिक तरीकों के निकट ले जाना, क्योंकि ये उत्सर्जन को कम करेंगे और वैश्विक तापन (Global Warming) के प्रति प्रत्यास्थता में वृद्धि करेंगे।

✔️रिपोर्ट में घास के मैदानों को फसल उत्पादन हेतु भूमि में बदलने से रोकना, कृषि में जल के न्यायसंगत प्रबंधन, फसल विविधीकरण, कृषि-वानिकी और उच्च तापमान सहन कर सकने वाले स्थानीय और बीज की स्वदेशी किस्मों में निवेश का आह्वान किया गया है। यह उन अभ्यासों की भी सिफारिश करता है जो मृदा में कार्बन की वृद्धि करते हैं और लवणन (Salinization) को कम करते हैं।

✔️सतत् या संवहनीय खाद्य प्रणालियों की स्थापना का अर्थ है खाद्य की बर्बादी को कम करना जो कि उत्पादित खाद्य का लगभग एक-चौथाई आकलित किया जाता है। यह स्थानीय स्तर पर उत्पादित खाद्यान्नों के उपभोग और मांस की खपत में कमी लाने जैसे प्रयासों की आवश्यकता पर बल देता है। इन परिवर्तनों के साथ ही वनों की कटाई पर रोक लगाना और कच्छ वनस्पति (Mangroves), पीट-भूमि (Peatland) एवं अन्य आर्द्रभूमियों का संरक्षण किया जाना भी आवश्यक है।

✔️इन महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों के लिये और असमानता व गरीबी को कम करने के लिये भूमि उपयोग नीति में लघु एवं सीमांत किसानों की बेहतर बाज़ार पहुँच, महिला कृषकों का सशक्तीकरण, कृषि सेवाओं का विस्तार और भूमि-धारण प्रणालियों को मज़बूत करना शामिल होना चाहिये। सतत् भूमि प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्रों और समाजों पर हावी कई दबावों को कम कर सकता है। यह समाजों को गर्म जलवायु के प्रति बेहतर ढंग अनुकूलित होने और उनके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने में भी मदद करेगा।

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