Friday, January 24, 2020

आईसीजे का अहम फैसला: रोहिंग्या मुसलमानों की सुरक्षा हेतु तत्काल कदम उठाए म्यांमार

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने 23 जनवरी 2020 को एक महत्वपूर्ण आदेश में म्यांमार से रोहिंग्या आबादी को सुरक्षा देने हेतु कहा है. कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय को उत्पीड़न से बचाने के लिए म्यांमार को तत्काल उपाय करने का निर्देश दिया है. इस आदेश को सुनने हेतु पूरी दुनिया से रोहिंग्या हेग पहुंचे थे.

कोर्ट ने म्यांमार सरकार से कहा है कि वे रोहिंग्या समुदाय को सैनिको के अमानवीय जुल्म से बचाने तथा जबरन अपना घर छोड़ने हेतु मजबूर किए जाने जैसी घटनाओं को तुरंत रोके. कोर्ट ने कहा कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध किए गए नरसंहार के आरोपों पर फैसला देने हेतु वे प्रथम दृष्टया अधिकार क्षेत्र है तथा उसका आदेश बाध्यकारी है.

अंतरराष्ट्रीय अदालत का यह आदेश अफ्रीकी देश गांबिया की याचिका पर आया है. इसने मुस्लिम देशों के संगठनों की ओर से याचिका दायर की थी और म्यांमार पर रोहिंग्या का जनसहांर करने का आरोप लगाया था. म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के लोगों के हुए नरसंहार को संयुक्त राष्ट्र के 1948 के अंतरराष्ट्रीय समझौते का स्पष्ट उल्लंघन कहा गया था.

रोहिंग्या पर आईसीजे का फैसला

• 17-न्यायाधीशों वाली आईसीजे पीठ ने एक सर्वसम्मत फैसले में कहा कि उसका मानना ​​है कि रोहिंग्या खतरे में हैं और उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

• कोर्ट द्वारा दिये गए आदेश में कहा गया कि म्यांमार सरकार रोहिंग्या समुदाय की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए.

• पीठासीन न्यायाधीश अब्दुलकावी यूसुफ ने म्यांमार को चार महीने के भीतर इसकी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. साथ ही प्रत्येक छह महीने पर म्यांमार अपनी रिपोर्ट तब तक सौंपता रहेगा जब तक यह मामला पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता.

• कोर्ट ने कहा कि म्यांमार सरकार हिंसा रोकने के लिए सरकार सेना और अन्य हथियारबंद संगठनों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे.

गांबिया की याचिका
अफ्रीकी देश गांबिया ने 57 देशों के इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से आईसीजे में रोहिंग्या समुदाय पर म्यामांर में हो रहे जुल्म को लेकर अपील की थी. गांबिया के कानूनी विशेषज्ञों ने आईसीजे में यह मामला नवंबर 2019 में रखा था तथा कोर्ट से दखल देने की अपील की थी.

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के बारे में

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय दो या इससे ज्यादा देशों के बीच के विवादों को निपटाने हेतु सबसे बड़ी अदालत है. यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है जो हेग (नीदरलैंड्स) के पीस पैलेस में स्थित है. इसमें 193 देश शामिल हैं और इसके वर्तमान अध्यक्ष अब्दुलकावी अहमद यूसुफ हैं. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना साल 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा की गई और अप्रैल 1946 में इसने काम करना शुरू किया था.

म्यांमार में एक अनुमान के अनुसार करीब 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं. इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वह मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं. इन्हें सरकार ने नागरिकता देने से इनकार कर दिया है. हालांकि रोहिंग्या म्यामांर में पीढ़ियों से रह रहे हैं. रखाइन स्टेट में साल 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है. इस हिंसा में बहुत से लोग विस्थापित हुए हैं. रोहिंग्या मुसलमान आज भी बड़ी संख्या में जर्जर कैंपो में रह रहे हैं. रोहिंग्या मुसलमानों को व्यापक पैमाने पर भेदभाव तथा दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. लाखों की संख्या में बिना दस्तावेज़ वाले रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं.

पृष्ठभूमि

म्यांमार सेना ने साल 2017 में रोहिंग्या पर अत्याचार किए थे. इसके चलते करीब 07 लाख 30 हजार रोहिंग्या देश छोड़कर बांग्लादेश सीमा पर आ गए थे. ये लोग यहां कैंपों में रह रहे थे. जांचकर्ताओं ने कहा था कि सेना ने रोहिंग्याओं के नरसंहार हेतु अभियान चलाया था. म्यांमार की सेना पर रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार के दौरान मारने और भड़काने का आरोप है. हालांकि, म्यांमार ने आरोपों को खारिज कर दिया है.

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