Sunday, October 21, 2018

हिंदी साहित्य का काल विभाजन

★ हिंदी साहित्य को कितने कालों मे विभाजित किया गया है ?
हिंदी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन सर्वप्रथम आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किया। यह सबसे अधिक प्रमाणित काल विभाजन है। इनके अनुसार हिंदी साहित्य को चार कालों मे विभक्त किया गया है :
1. आदिकाल (वीरगाथा काल) : सन् 1000 से 1325 तक
2. पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल) : सन् 1325 से 1650
3. उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल) : सन् 1650 से 1850
4. आधुनिक काल : सन् 1850 से अब तक

★ इन कालों की विशेषतायें बताइये ?
• आदिकाल : इस काल मे वीरगाथात्मक ग्रन्थों की प्रधानता थी। कवि अपने आश्रयदाता राजा की प्रशंसा तथा वीरता का बढा चढा कर वर्णन करते थे। युद्ध का सजीव वर्णन किया गया है। इस काल की रचनाओं मे ऐतिहासिकता का अभाव था तथा कल्पना की बहुलता थी। वीर रस के साथ-साथ श्रंगार रस का वर्णन भी किया गया था।

• पूर्व मध्यकाल : इस काल में दो धाराएँ प्रबल रूप से बहीं – निर्गुण धारा और सगुण धारा। निर्गुण धारा में ईश्वर को निराकार मानकर सन्त कवियों ने ज्ञान की चर्चा की । सगुण धारा में ईश्वर को साकार मानकर उपासना करने वाले भक्त कवि हुए ।
…..निर्गुण धारा के दो रूप हो गये । ज्ञानाश्रयी शाखा, जिसके प्रमुख प्रवर्त्तक कबीरदास थे और प्रेममार्गी शाखा, जिसके जायसी आदि सूफी कवि अनुयायी थे।
…..सगुण धारा भी दो शाखाओं में प्रवाहित हुई। रामभक्ति शाखा, जिसके प्रमुख अनुयायी गोस्वामी तुलसीदास थे और कृष्ण-भक्ति शाखा, जिसके अनुयायी सूरदास थे। इस प्रकार भक्ति-भाव की प्रधानता होने के कारण इसे ‘भक्ति काल’ नाम दिया गया।
इस काल की विशेषतायें : इस काल के प्रारम्भ मे मुसलमानों का राज्य स्थापित हो चुका था। उनके अत्याचारों के सामने सामान्य जनता की धर्म-भावना काफी दब चुकी थी। जनता मे भगवान के प्रति अविश्वास होने लगा। अत: इस काल के कवियों का मुख्य उद्देश्य जनता मे भगवान की महत्ता का प्रचार करना था। इस काल मे भगवान के नाम, जप और कीर्तन को मुख्य स्थान दिया गया। इस काल के कवि किसी राजा के आश्रय मे न रहकर स्वच्छन्द रूप से कविता किया करते थे। इस काल के कवियों ने प्राचीन रूढियों एवं अंधविश्वासों का खण्डन किया तथा पारिवारिक, सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र मे भी बहुत सुधार किया।

• उत्तर मध्यकाल : इस काल मे सारा समाज अश्लीलता, विलासिता और आडम्बर मे डूबा हुआ था। अधिकांश कविगण राजाओं तथा बादशाहों के आश्रय मे थे तथा उनको प्रसन्न करने मे ही अपने को धन्य समझते थे। काव्यों मे अश्लीलता आ गयी थी। श्रंगार रस की प्रधानता थी। साहित्य का सुन्दर स्वरूप किसी को दिखाई नही देता था। धर्म का विकास रूक गया था। भगवान कृष्ण और राधा का स्वरूप भी लोगों ने बिगाड दिया था। संत-महन्त भी राजसी ठाठ से रहते थे।
…..विद्वानों का यह भी मत है कि इस काल के कवियों ने काव्य में मर्यादा का पूर्ण पालन किया है। घोर श्रंगारी कविता होने पर भी कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन देखने को नहीं मिलता है।

• आधुनिक काल : इस काल को हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ युग माना जाता है। इस काल मे बृज भाषा के प्रयोग मे कमी आयी तथा गद्य और पद्य दोनो रूपों मे खडी बोली का पर्याप्त विकास हुआ। इस काल मे देशभक्ति, राष्ट्रीय चेतना तथा राष्ट्रीय भावना का विकास हुआ। इस काल मे कहानी, उपन्यास, नाटक तथा निबन्ध जैसे हिन्दी के सभी स्वरूपों का विकास हुआ।

★ आदिकाल की प्रमुख रचनाओं तथा उनके रचनाकारों के नाम बताइये ?
• पृथ्वीराज रासो : चन्दबरदायी
• परमाल रासो : जगनिक
• बीसलदेव रासो : नरपति नाल्ह
• विजयपाल रासो : नल्ल सिंह
• कीर्तिपताका : विद्यापति

★ पूर्व मध्यकाल के प्रमुख कवियों तथा उनकी रचनाओं के नाम बताइये ?
• तुलसीदास : रामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, दोहावली, गीतावली, रामललानहछू, वैराग्य संदीपनी, बरवै रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, रामाज्ञा प्रश्नावली, श्रीकृष्ण गीतावली, हनुमान बाहुक।
• सूरदास : सूरसागर, सूरसारावली, साहित्यलहरी
• कबीरदास : कबीर की वाणी का संग्रह ‘बीजक’ नाम से प्रसिद्ध है। इसके तीन भाग है – साखी, सबद, रमैनी।
• मीराबाई : नरसी जी का मायरा, गीत गोविन्द का टीका, राग गोविन्द।
…..इसके अलावा मीराबाई के गीतों का संकलन ‘मीराबाई की पदावली’ नामक ग्रन्थ मे किया गया है।
• रसखान : प्रेम वाटिका, सुजान रसखान
• रहीम : नायिका भेद, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, नगर शोभा
• मलिक मुहम्मद जायसी : पद्मावत, अखरावट

★ उत्तर मध्यकाल के प्रमुख कवियों तथा उनकी रचनाओं के नाम बताइये ?
इस काल के कवियों को तीन भागों मे बाँटा जाता है – रीतिमुक्त कवि, रीतिबद्ध कवि तथा रीतिसिद्ध कवि।
1. रीतिमुक्त कवि : घनानंद, बोधा।
2. रीतिबद्ध कवि : चिन्तामणि, पद्माकर, कुलपति मिश्र, सेनापति।
3. रीतिसिद्ध कवि : बिहारी, मतिराम।
…..इन कवियों की रचनायें इस प्रकार हैं –
• घनानंद : प्रेम सरोवर, प्रेम पत्रिका, प्रिय प्रसाद, सुजान हित, गोकुल विनोद, विरह लीला।
• बोधा : विरहवारीश, इश्कनामा
• बिहारी : बिहारी सतसई
• मतिराम : मतिराम सतसई
• पद्माकर : पद्माभरण, जगद्विनोद, गंगालहरी, राम रसायन, राजनीति
• कुलपति मिश्र : रस रहस्य, द्रोणपर्व, युक्तितरंगिणी, नखसिख
• सेनापति : कवित्त रत्नाकर

★ आधुनिक काल के प्रमुख रचनाकारों तथा उनकी रचनाओं के नाम बताइये ?
इस काल को पाँच प्रमुख भागों मे विभाजित किया जा सकता है –
1. भारतेन्दु युग (सन् 1850 से 1900) : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रताप नारायण मिश्र, बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’, सुधाकर द्विवेदी, मिर्जा गालिब
2. द्विवेदी युग (सन् 1900 से 1920) :महावीर प्रसाद द्विवेदी, अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’, मैथिलीशरण गुप्त, जगन्नाथदास रत्नाकर, श्रीधर पाठक
3. छायावाद युग (सन् 1920 से 1936) : जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, सुमित्रानन्दन पन्त, महादेवी वर्मा
4. उत्तर छायावाद युग (सन् 1936 से 1943) : रामधारीसिंह दिनकर, माखनलाल चतुर्वेदी, शिवमंगल सिंह सुमन, हरिवंशराय बच्चन, सुभद्रा कुमारी चौहान
5. प्रयोगवाद अथवा नयी कविता (सन् 1943 से 1960) : धर्मवीर भारती, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना, मुक्तिबोध, केदारनाथ सिंह, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।
…..इस काल के प्रमुख रचनाकारों की रचनायें निम्नलिखित हैं –
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र : भारत दुर्दशा, अँधेर नगरी, सती प्रताप, नीलदेवी, सत्य हरिश्चन्द्र
प्रतापनारायण मिश्र : हठी हमीर, कलि कौतुक, गोसकट, जुआरी-खुआरी, प्रेम पुष्पावली, मन की लहर, दंगल खंड, श्रंगार विलास
मैथिलीशरण गुप्त : साकेत (महाकाव्य), चन्द्रहास, तिलोत्तमा, नहुष, विसर्जन
हरिऔध : प्रिय प्रवास (खडी बोली का प्रथम महाकाव्य), वैदेही वनवास, पारिजात, अधखिला फूल, ठेठ हिन्दी का ठाठ
जयशंकर प्रसाद : ध्रुवस्वामिनी, जनमेजय का नागयज्ञ, चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, कामना, एक घूँट, छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आँधी, इन्द्रजाल, कंकाल, तितली, इरावती, झरना,आँसू, लहर, कामायनी।
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला : अप्सरा, अलका, प्रभावती, लिली, सुकुल की बीवी, सखी, देवी, चाबुक, प्रबंध प्रतिमा, चयन, संग्रह
सुमित्रानन्दन पन्त : वीणा, पल्लव, लोकायतन, युगांत, ग्रन्थि, गुँजन, चिदम्बरा
महादेवी वर्मा : यामा, नीरजा, नीहार, रश्मि, सान्ध्यगीत, दीपशिखा, अग्निरेखा
सुभद्रा कुमारी चौहान : मुकुल, त्रिधारा
रामधारीसिंह दिनकर : उर्वशी, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी
हरिवंशराय बच्चन : मधुशाला, मधुबाला, दो चट्टानें, निशा निमन्त्रण, एकांत संगीत
अज्ञेय : परम्परा, कोठरी की बात, शरणार्थी, सब रंग, त्रिशंकु, स्मृति लेखा
गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ : चाँद का मुह टेढा है, काठ का सपना, विपात्र
धर्मवीर भारती : मुर्दों का गाँव, स्वर्ग और पृथ्वी, चाँद और टूटे हुए लोग, बंद गली का आखिरी मकान, गुनाहों का देवता, सूरज का सातवाँ घोडा।

No comments:

Post a Comment

सल्तनत काल की प्रमुख रचनाएँ (Sultanate Period Books) By Mr.Rudra Tripathi "Rudra Coaching Classes"

सल्तनत काल की प्रमुख रचनाएँ (Sultanate Period Books) पुस्तक ➖ लखक 🔰 🔰 📙तारीख-ए-फिरोजशाही➖ जियाउद्दीन बरनी 📘फतवा-ए-जहांदारी➖जियाउद्दीन बर...