~भक्तिकाल-
- आचार्य शुक्ल ने भक्तिकाल का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया है-
भक्ति काल निगुण (ज्ञानाश्रयी) (प्रेयाश्रयी)
संतकाव्य सूफी काव्य
सगुण-
रामकाव्य
कृष्णकाव्य
( कबीर/ जायसी /तुलसीदास/ सूरदास)
प्रमुख आचार्य एवं सिद्धान्त (सम्प्रदाय)
-
1. अद्वैतवाद - शंकराचार्य
2. विशिष्टाद्वैतवाद - रामानुजाचार्य
3. द्वैतवाद (ब्रह्मवाद) - मध्वाचार्य
4. द्वैताद्वैतवाद - निम्बकाचार्य
5. शुद्धादतै वाद - विष्णु स्वामी/
वल्लभाचार्य
6. सखी/हरिदासी सम्प्रदाय- हरिदास
7. राधावल्लभी सम्प्रदाय - हितहरिवंश
8. रामावत सम्प्रदाय - रामानन्द
9. श्री सम्प्रदाय - रामानुजाचार्य
संत काव्य की प्रमुख प्रवृतियाँ -
- निर्गुण निराकार ब्रह्म की उपासना।
- गुरू की महिमा
- ज्ञान की महिमा।
- रहस्यात्मकता-साधनात्मक एवं भावनात्मक रहस्यवाद
- बाहरी आडम्बरों का विरोध
- मानवतावादी दृष्टिकोण
- नारी विषयक दृष्टिकोण
- जाति प्रथा के विरूद्ध
- संसार की असारता का निरूपण
- उलटबांसी शैली का प्रयोग
- अपरिष्कृत भाषा - आचार्य शुक्ल ने इसे सधुकड़ी या पंचमेल खिचड़ी भाषा में कहा है।
- भाव पक्ष की प्रधानता
प्रमुख संत एवं उनकी रचनाएं -
1. कबीर - (1398)
- बीजक नाम से इनकी रचनाओं का संकलन इनके शिष्य धर्मदास द्वारा किया गया। बीजक के तीन भाग है - 1. साखी 2. सबद 3.रमैनी
- श्यामसुन्दर दास ने इनकी रचनाओं का संकलन ‘कबीर ग्रन्थावली’ में किया।
- ये भक्त एवं कवि बाद में थे समाजसुधारक पहले थे।
- कबीर ने गुरू की महिमा, हठयोग साधना एवं कुण्डलिनीयोग नाथों से ग्रहण किया है।
- कबीर की उलटबांसियों पर सिद्धों का प्रभाव
- कबीर की भाषा को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने सधुक्कड़ी या पंचमेल खिचड़ी कहा है।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर को ‘‘वाणी का डिक्टेटर’’ कहा है।
- सबद और रमैनी की भाषा ब्रज है।
- ये रामानन्द के 12 शिष्यों में प्रमुख थे।
2. गुरूनानक देव -
- ये सिख सम्प्रदाय के प्रवर्तक थे।
- इनका जन्म तलवण्डी (ननकाना साहिब) में 1469 को हुआ।
- प्रमुख रचनाएं - जपुजी, असादीबार, रहिराज, सोहिला, नसीहतनामा (खड़ी बोली में)
3. हरिदास निरन्जनी -
- ये निरन्जनी सम्प्रदाय के थे जो नाथ पंथ और संतकाव्य के बीच की कड़ी माना जाता है।
- प्रमुख रचनाएं - अष्टपदी, ब्रह्मस्तुति, हंस प्रबोध, संग्रामजोग, समाधि जोग
4. दादू दयाल (1544 ई.) -
- इन्होंने ‘‘दादूपंथ’’ का प्रवर्तन किया जो ‘‘परब्रह्म सम्प्रदाय’’ भी कहलाता है।
- इनकी रचनाओं का संकलन ‘‘हरड़ेवाणी’’ नाम से इनके शिष्य संतदास एवं जगन्ननाथदास ने किया।
- अन्य रचनाएं - अनभैपाणी, कायावेली, अंगबधू(रज्जबजी)
- अंगबधु का संकलन रज्जब ने किया
- इनकी भाषा ब्रज है
5. मलूकदास -
- प्रमुख रचनाएं - ज्ञानबोध, रतनखान, भक्तिविवेक, सुख-सागर, बारहखड़ी, ध्रुवचरित्र।
- आलसियों का महामंत्र - अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम। दास मलूका कह गए, सबके दाता राम।।
- इनकी भाषा ब्रज एवं अवधी है
6. सुन्दरदास -
- ये दादूदयाल के षिष्य थे।
- ये सबसे प्रतिभाशाली एवं शिक्षित कवि थे।
- इनके ग्रंथों में ‘‘ज्ञान समुद्र’’ एवं ‘‘सुन्दर विलास’’ प्रसिद्ध है।
- ‘‘सुन्दर ग्रन्थावली’’का सम्पादन कार्य हरिनारायण शर्मा ने किया।
- ये शृंगार रस के परम विरोधी थे।
- इन्होंने केशव की ‘‘रसिकप्रिया’’ एवं नन्ददास ‘‘रसमंजरी’’ की निंदा की है।
- इन्होंनें छंदों एवं अलंकारों का शुद्ध प्रयोग किया।
- इनकी भाषा ब्रज है।
7. रैदास - (रविदास)
- ये रामानन्द के षिष्य थे तथा जाति से चमार थे।
- ये मीरा के गुरू भी माने जाते हैं।
- इनकी रचनाएं ‘‘रविदास की वाणी’’ शीर्षक से प्रकाशित है।
- इनकी भाषा ब्रज है।
8. अर्जुनदेव -
- ये ‘‘गुरू ग्रंथ साहिब’’ के सम्पादक थे।
- रचनाएं - सुखमणी, बावनक्षरी। संतकाव्य से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य -
- नामदेव ने कबीर से पहले संतकाव्य की स्थापना की थी। ये महाराष्ट्र पण्डरपुर जिले के संत थे।
- निर्गुण पंथ के प्रवर्तक कबीर ही माने जाते हैं।
- संत काव्य में साधनात्मक रहस्यवाद अधिक मिलता है।
सभी मित्रों का स्वागत है हमारे इस वेबसाइट पर धन्यवाद श्याम नारायण त्रिपाठी रुद्राक्ष शाण्डिल्य रुद्र आप सभी को अच्छी सलाह और ज्ञान देना ही हमारा मकसद है बेटा ज्यादा उछ्लो मत … हम सब इशारे समझते है और अच्छे से औकात दिखाते है
Tuesday, September 3, 2019
भक्तिकाल। By Rudra Tripathi. Director & Manager Of Rudra Coaching Classes
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